Friday, May 11, 2018

राज्य प्रशासनिक सेवाएँ

राज्‍य प्रशासनिक सेवाएँ
(आर.ए.एस तथा अधीनस्‍थ लोक सेवाएँ)
एक परि‍चय

देश में तीन तरह की लोक सेवाएँ ब्रिटि काल से चली रही हैं।
  1. अखि भारतीय लोक सेवाएँ
  2. केन्द्रीय लोक सेवाएँ तथा
  3. राज्  (प्रान्तीयलोक सेवाएँ।

      अखिल भारतीय लोक सेवाओंका चयन राष्‍ट्रीय स्‍तर पर संघ लोक सेवा आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा किया जाता है उनकी नियुक्‍ति, पदोन्‍नति व अनुशासन से सम्‍बन्‍धित मामले केन्‍द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में होते हैं। अखिल भारतीय सेवाएँ केन्‍द्र द्वारा राज्‍यों में नियुक्‍त की जाती हैं। अखिल भारतीय सेवाएँ केन्‍द्र सरकार की सेवाएँ होती हैं, किन्‍तु कार्य राज्‍यों में करती है। राज्‍य-प्रशासन में ये सेवाएँ शीर्षस्‍थ एवं सर्वोच्‍च होती हैं। इस रूप में ये सेवाएँ अत्‍यन्‍त महत्‍त्‍वपूर्ण एवं लोकप्रिय होती है। हमारे देश में प्रशासनिक सेवाओं को अन्‍य सेवाओं की तुलना में सर्वोच्‍च वरीयता प्राप्‍त है, अत: इनके साथ सामाजिक प्रतिष्‍ठा का महत्‍त्‍वपूर्ण तत्‍त्‍व जुड़ा हुआ है। इसलिए इन सेवाओं के चयन हेतु आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उम्‍मीदवारों में एक जबरदस्‍त क्रेज पाया जाता है। दूसरी लोक सेवायें केन्‍द्रीय लोक सेवायें कहलाती हैं जो केन्‍द्र सरकार द्वारा नियुक्‍त की जाती हैं तथा केन्‍द्र तथा केन्‍द्रीय सरकार के कार्यालयों में ही कार्य करती हैं।

      जो स्‍थितिराष्‍ट्रीय स्‍तर पर अखिल भारतीय सेवाओं की है, वही स्‍थिति प्रान्‍तीय(राज्‍य) स्‍तर पर राज्‍य लोक सेवाओं की है। राज्‍यों में शीर्षस्‍थ स्‍थान अखिल भारतीय सेवाओं का होता है। इन सेवाओं के बाद स्‍थान राज्‍य लोक सेवाओं का ही है। अत: उम्‍मीदवारएक साथ दोनों सेवाओं की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी कर सकते हैं और यदि राज्‍य लोक सेवाओं में भी सफल हो जाते हैं तो उन्‍हें समाज में द्वितीय वरीयता प्राप्‍त सेवाओं में सफल होने का संतोष मिल जाता है तथा कालान्‍तरमें पदोन्‍नति के रास्‍ते से अखिल भारतीय सेवाओं में पदोन्‍नत होनेकामौका मिल जाता है। समाज में राज्‍यस्‍तरीय लोक सेवाओं के साथ भी सामाजिक प्रतिष्‍ठा का तत्‍व जुड़ा रहता है। अत: उम्‍मीदवारों में जो क्रेज अखिलभारतीय सेवाओं के लिए आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में सम्‍मिलित होने का है वैसा ही क्रेज राज्य स्‍तरीय लोक सेवाओंके लिए आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए होता है। जिस प्रकार लाखों उम्‍मीदवार अखिल भारतीय लोक सेवाओं के चयन हेतु संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षामें बैठते हैं, उसी प्रकार राज्‍य लोक सेवाओं के चयन हेतु राज्‍य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रतियोगीपरीक्षा में भी लाखों उम्‍मीदवार अपना भाग्‍य आजमाते हैं।


            Prof.B.M Sharma 
Former Chairman RPSC & Vice 
   Chancellor Kota University
                                                   

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Thursday, May 3, 2018

सफलता क्‍या है?

सफलता क्‍या है?


सफलता मात्र कोई संयोग नहीं है। वस्‍तुत: सफलता अपनी सभी प्रकार की क्षमताओं, शक्‍तियों तथा संभावनाओं का सही प्रकार से मन्‍थन कर मक्‍खन निकालने जैसी लम्‍बी प्रक्रिया का परिणाम है। मानव में क्षमताओं एवं संभावनाओं की कोई कमी नहीं है। प्रत्‍येक मनुष्‍य में असीम क्षमताएँ एवं संभावनाएँ होती हैं। आवश्‍यकता है अपनी सभी क्षमताओं को channelise कर organise करने की तथा अपने अभीष्‍ट की दिशा में पूरी लगन एवम् मनोयोग से जुट जाने की। इस सम्‍पूर्ण प्रक्रिया को मेहनत की संज्ञा दी जाती है। जीवन में मेहनत का कोई विकल्‍प नहीं है। आवश्‍यकता है उस मेहनत को सही दिशा देने की। सही दिशा में मेहनत निश्‍चित ही सफलता की ओर अग्रसर होती है। भाग्‍य भी हमेशा उन्‍हीं का साथ देता है जो ईमानदारी से मेहनत करते हैं। हेनरी फोर्ड ने कहा है कि हम जितनी अधिक मेहनत करेंगे भाग्‍य भी हमारा उतना ही अधिक साथ देगा। प्रश्‍न पैदा होता है कि मेहनत तथा सफलता में क्‍या सम्‍बन्‍ध है? इस सन्‍दर्भ में यह कहा जा सकता है कि एक योजना बनाकर बार-बार उसका अभ्‍यास करना ही मेहनत है। इस मेहनत से आत्‍मविश्‍वास पैदा होता है और आत्‍मविश्‍वास से सफलता अर्जित होती है।

वस्‍तुत: प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मेहनत, आत्‍मविश्‍वास एवम् प्रतिबद्धता के सतम्‍भों पर टिकी होती है। मेहनत, आत्‍मविश्‍वास एवम् प्रतिबद्धता ही साधारण व्‍यक्‍ति को असाधारण बनाती है। राष्‍ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर ने सही ही कहा है कि-

खम ठोक ठेलता है जब नर, परबत के जाते पांव उखड़।
मानव जब जोर लगाता है, पत्‍थर पानी बन जाता है।।
इसी प्रकार स्‍वामी विवेकानन्‍द ने भी सही ही कहा है- उतिष्‍ठत जाग्रत प्राप्य-वरान निबोधत। इसी प्रकार निम्‍न पंक्‍तियाँ भी दृष्‍टव्‍य हैं-

इंसान वो नहीं जो, हवा के साथ बदले।
इंसान तो वो है जो, हवा का रूख बदले।।
जीवन में हारता वह है जो हारने से पहले ही हार जाता है और जीतता वह है जो हारने के बाद भी नहीं हारता। परीक्षा में हर प्रश्‍न हमारे लिए हार और जीत का परिणाम लेकर उपस्‍थित होता है। हम आत्‍म-विश्‍वास खोकर प्रश्‍नों का सही उत्‍तर देकर भी रिजेक्‍ट’[Reject] किये जा सकते हैं और आत्‍म-विश्‍वास खोए बिना किसी प्रश्‍न के बारे में अनभिज्ञता प्रकट करने पर भी सलेक्‍ट किए जा सकते हैं। इसलिए प्रत्‍येक प्रतियोगी परीक्षा की कुन्‍जी आत्‍म-विश्‍वास एवं प्रतिबद्धता के साथ ईमानदारी से की गयी मेहनत है। अगर आप कठिन मेहनत और परिश्रम करने को तैयार हैं तो दोस्‍तों कूद पड़ो इस समर में, सफलता अवश्‍य ही आपका वरण करने को तत्‍पर है।



Prof.B.M Sharma 
Former Chairman RPSC & Vice 
Chancellor Kota University

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